SC: शीर्ष अदालत के नए कॉलेजियम में अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस शामिल हैं।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस को सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों के कॉलेजियम में शामिल किया गया है। शीर्ष अदालत के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के 25 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद यह कदम उठाया गया है। कॉलेजियम ने उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के तबादले के लिए नामों की भी सिफारिश की है।
सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम में अब ये पांच न्यायाधीश
शीर्ष अदालत के नए कॉलेजियम में अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस शामिल हैं। न्यायमूर्ति बोस 10 अप्रैल 2024 तक कॉलेजियम में रहेंगे। न्यायमूर्ति कौल की सेवानिवृत्ति के साथ ही न्यायमूर्ति गवई तीन न्यायाधीशों के उस कॉलेजियम में सीजेआई और न्यायमूर्ति खन्ना के साथ शामिल हो जाएंगे, जो उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश करता है।
न्यायमूर्ति कौल ने न्यायिक वरिष्ठता से छेड़छाड़ की कही थी बात
न्यायमूर्ति कौल ने सरकार के पास लंबित कॉलेजियम द्वारा मंजूर नामों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई की थी। तब उन्होंने कहा था कि सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की चुनिंदा नियुक्तियों और तबादलों के जरिए न्यायिक वरिष्ठता के साथ छेड़छाड़ कर रही है, जिससे कॉलेजियम की ओर से कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है, जो शर्मनाक परिणाम पैदा कर सकती हैं।
‘सरकार की ‘सोच करके चुनने की नीति’ बड़ी चिंता का विषय’
उन्होंने इससे पहले केंद्र को स्पष्ट कर दिया था कि न्यायिक नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित लोगों को केवल उनके राजनीतिक संबंधों के लिए या अदालत में सरकार के खिलाफ किसी मामले का बचाव करने के लिए चुनिंदा रूप से दरकिनार न किया जाए। न्यायमूर्ति कौल ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादलों में सरकार की ‘सोच विचार करके चुनने की नीति’ बड़ी चिंता का विषय है।
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