दिल्ली हिंसा: आपकी जांच की कोई दिशा नहीं हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार

दिल्ली हिंसा के एक मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया लीक की पुलिस सतर्कता जांच रिपोर्ट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है….
दिल्ली हिंसा मामले में गिरफ्तार जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) की जज मुक्ता गुप्ता की सिंगल बेंच ने कहा कि यह सतर्कता जांच चोरी के किसी मामले की एक समान्य जांच से भी बदतर है. अदालत ने विशेष आयुक्त (सतर्कता) को मामले में पांच मार्च को सुनवाई में उपस्थित होने के लिए कहा है…
नई दिल्ली.
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) की साजिश के मामले में सुनवाई करते हुए आसिफ इकबाल तनहा की याचिका पर उनके मीडिया ट्रायल (Media Trial) के खिलाफ दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के सतर्कता विभाग को जमकर तलाड़ लगाई है. हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस की उस विजिलेंस जांच रिपोर्ट पर असंतोष जताया जो जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के एक छात्र का इकबालिया बयान मीडिया को लीक करने के आरोप को लेकर की गई थी. अदालत ने विशेष आयुक्त (सतर्कता) को मामले में पांच मार्च को सुनवाई में उपस्थित होने के लिए कहा है. जस्टिस मुक्ता गुप्ता की सिंगल बेंच ने कहा कि यह सतर्कता जांच चोरी के किसी मामले की एक समान्य जांच से भी बदतर है.
जामिया के गिरफ्तार छात्र की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई
छात्र को पिछले साल उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा, क्या आप चाहते हैं कि मैं इस जांच रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दूं, मैं कहूंगी कि यह बेकार कागज का टुकड़ा है. बल्कि मैं यह कहूंगी कि यह कोर्ट की अवमानना है कि कोर्ट ने आपसे आपकी अपनी रिपोर्ट की जांच करने को कहा था और आपको लगा था कि यह राष्ट्रीय महत्व की चीज है, और देखें कि आपने कैसी रिपोर्ट तैयार की है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसके बाद कहा कि यह विजिलेंस इन्क्वॉयरी जन शिकायत की जांच से भी बदतर है.
कोर्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कल आप यह न कह दें कि यह इसी ऑफिस से लीक हुआ था. दिल्ली पुलिस ने कबूलनामा लीक होने में अपना हाथ होने से इनकार कर दिया था. उसने कहा था कि यह पूरी फाइल स्पेशल सेल ने दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय को भेजी थी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने शिकायत की है कि उसका कथित कबूलनामा लीकर कर दिया गया और मीडिया का रिपोर्टर कहता है कि उसके हाथ में है और वो उसे पढ़ रहा है. तो आखिर वो लीक किसने किया.
कोर्ट ने यह भी कहा कि वो फाइल कूरियर या डाक से नहीं भेजी गई थी, वो पुलिस विभाग का ही एक आदमी लेकर गया था और संबंधित व्यक्ति के हाथ में दिया था. ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि लीक कैसे हुआ.

पिछले साल फरवरी के महीने में उत्तर-पूर्व दिल्ली में CAA-NRC के मुद्दे पर दो समुदायों के बीच जमकर हिंसा और उपद्रव हुई थी जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे (फाइल फोटो)
पूरी कानूनी प्रक्रिया ध्वस्त होने की जताई थी आशंका
बता दें कि याचिकाकर्ता आसिफ इकबाल तनहा ने कोर्ट में शिकायत की थी कि उसका कथित कबूलनामा ठीक उसी समय लीक हुआ जब उसने जमानत की याचिका दायर की थी. उसने ऐसी आशंका जताई थी कि पूरी कानूनी प्रक्रिया ही ध्वस्त की जा रही है. वहीं मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने कोर्ट से कहा कि पुलिस खुद इससे परेशान है कि यह कबूलनामा कैसे लीक हो गया. अगर कोर्ट में यह साबित हो जाए कि यह कागज लीक किया गया था तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
पुलिस का यह भी कहना है कि यदि रिपोर्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई तो सरकार पर यह आरोप लगेगा कि वह मीडिया को डरा-धमका रही है. लेकिन तनहा के वकील ने कहा कि एक दूसरे मामले में जब मीडिया ने दिल्ली पुलिस की आलोचना की थी तो उसने उस मीडिया कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की थी. एक दूसरे मामले में एक मीडिया कंपनी से कहा गया था कि वह कुछ भी प्रकाशित न करे.