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न्यायिक सिस्टम के बुनियादी ढांचे के सुधार में सरकार से पर्याप्त समर्थन ना मिलने पर अफसोस:Cji एनवी रमना

केवल पैसा देने से नहीं बनेगी बात, ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर की बदहाली का जिक्र कर बोले सीजेआई- सरकार नहीं कर रही सहयोग..

भारत के मुख्य न्यायधीश एनवी रमना ने न्यायिक सिस्टम के बुनियादी ढांचे के सुधार में सरकार से पर्याप्त समर्थन ना मिलने पर अफसोस जताया है।

नई दिल्ली

देश की ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए एक बार फिर से सीजेआई एनवी रमना ने अपील की है। साथ ही उन्होंने कई मुद्दों पर नाराजगी भी जताई है। उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि केवल पैसे देने से ही बात नहीं बन जाएगी। सरकार को हर तरीके से सहयोग करना पड़ेगा।

बार एंड बेंच के अनुसार सीजेआई एनवी रमना ने शनिवार को देश में न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकार से पर्याप्त समर्थन की कमी पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि केवल धन देना ही पर्याप्त नहीं होगा। न्यायिक बुनियादी ढांचे के सुधार के समन्वय और निगरानी के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है। दुर्भाग्य से, हम इस क्षेत्र में बुनियादी न्यूनतम मानकों को भी पूरा नहीं कर रहे हैं।

सीजेआई ने कहा- “केवल धन का आवंटन पर्याप्त नहीं है। चुनौती उपलब्ध संसाधनों को अधिकतम उपयोग करने की है। मैं केंद्र और राज्यों दोनों में वैधानिक प्राधिकरणों की स्थापना के लिए सरकार से अनुरोध कर रहा हूं। मुझे सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है।”

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सीजेआई ने ये बातें कही। इस कार्यक्रम में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद थे।

जुलाई 2021 में, केंद्र सरकार ने न्यायपालिका के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) को 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 तक पांच साल के लिए जारी रखने की मंजूरी दी थी। इस योजना की कुल लागत 9,000 करोड़ रुपये है।

बता दें कि सीजेआई रमना न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए कई मौकों पर सरकार का ध्यान इस ओर खींच चुके हैं। कई बार सार्वजनिक मंच से भी ये बातें कह चुके हैं। हालांकि सरकार इस ओर काम करती दिख भी दिख रही है। न्यायलयों में खाली पद के साथ-साथ जजों की संख्या बढ़ाने पर सीजेआई का जोर रहा है, जिसे लेकर अभी और काम किया जाना बाकी है।

 

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