पूरा देश डर की चपेट में है, मुझे कोई ऐसा व्यक्ति दिखाओ, जो कह सके कि मैं डरा नहीं हूं : चिदंबरम
कार्यक्रम में चिदंबरम ने आगे कहा कि पिछले 18 महीनों में मैं जहां भी गया, जिससे भी बात की, मुझे हमेशा ऐसा लगा कि वह डरे हुए हैं। लोगों की सोच में डर हावी है। डर उनके अस्तित्व पर हावी है। आप मुझे एक ऐसा व्यक्ति दिखाइये, जो निडरता से खड़ा हो सके।
कोलकाता
पूरा देश डर की चपेट में है। भारत की वर्तमान की स्थिति लोकतंत्र के उलट है। यह कहना है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंंत्री पी चिदंबरम का। चिदंबरम ने यह बात शनिवार को एपीजे कोलकाता लिटरेरी फेस्टिवल 2024 में कही। अपनी नई किताब ‘द वाटरशेड ईयर-व्हिच वे विल इंडिया गो?’ का विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे एक वर्ष से अधिक समय हो गया लेकिन अब तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जो भय से मुक्त हो।
कार्यक्रम में चिदंबरम ने आगे कहा कि पिछले 18 महीनों में मैं जहां भी गया, जिससे भी बात की, मुझे हमेशा ऐसा लगा कि वह डरे हुए हैं। लोगों की सोच में डर हावी है। डर उनके अस्तित्व पर हावी है। आप मुझे एक ऐसा व्यक्ति दिखाइये, जो निडरता से खड़ा हो सके। जो कह सके कि मेरे दिमाग में डर नहीं है। मैं कुछ भी कह सकता हूं। मैं कुछ भी लिख सकता हूं। कानून के दायरे में रहकर मैं कुछ भी कर सकता हूं। मुझे अब तक किसी भी व्यापारी, वकील, डॉक्टर, कलाकार सहित किसी भी क्षेत्र के व्यक्ति ने यह नहीं कहा कि मैं चाहूं बोल सकता हूं। मैं कोई भी फिल्म बना सकता हूं। असल लोकतंत्र वहीं होता है, जहां लोगों का मन भय रहित हो।
पहले भी कई बार साध चुके हैं निशाना
चिदंबरम इससे पहले भी कई बार भाजपा पर निशाना साध चुके हैं। महिला आरक्षण विधेयक पर भी उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि सरकार ने दावा किया है कि महिला आरक्षण विधेयक कानून बन गया है। ऐसे कानून का क्या फायदा, जो वर्षों तक लागू ही नहीं किया जाएगा। निश्चित रूप से यह कानून 2029 लोकसभा चुनाव से पहले लागू नहीं हो पाएगा। यह सिर्फ चिढ़ाने जैसा है। जैसे पानी के कटोरे में चांद की परछाई दिखती है। केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया यह कानून सिर्फ एक चुनावी जुमला है।