धर्म

रावण को भी 6 महीने तक बंदी बनाए रखा! कम लोग जानते हैं इस राजा की वीरगाथा

पुराणों में राजराजेश्वर कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का अवतार मानकर भगवान का दर्जा दिया गया है. हैहय वंश कुल में महाराज कार्तविर्य के घर माता पद्मिनी के गर्भ से जन्म लिया.

खरगोन:

भारत में कई सूरवीर राजा हुए हैं, जिन्होंने अपने पराक्रम से हजारों वर्षों तक शासन चलाया है. इतिहास के पन्नों को पलटने पर ऐसे ही एक राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन का नाम सामने आता है, जो इतने शक्तिशाली थे कि उन्हें राजाओं का राजा राजराजेश्वर कहा गया. उन्होंने तीनों लोको के अधिपति रावण को भी युद्ध में पराजित करके छह महीने तक बंदी बनाकर रखा था.

पुराणों में राजराजेश्वर कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का अवतार मानकर भगवान का दर्जा दिया गया है. हैहय वंश कुल में महाराज कार्तविर्य के घर माता पद्मिनी के गर्भ से जन्म लिया. मध्य प्रदेश के खरगोन की पवित्र नगरी महेश्वर (प्राचीन नाम माहिष्मती) के राजा बने. महेश्वर में उन्हें समर्पित त्रेतायुग का ही एक मंदिर भी है. कहते हैं उन्होंने अपने पराक्रम से सात द्वीपों पर विजय हासिल की थी. अपने जीवन काल में उन्होंने कई युद्ध लड़े और कभी पराजित नहीं हुए.

छह महीने तक यहां रखा बंदी बनाकर
रामायण सहित पुराणों के अनुसार, त्रेतायुग में उनका युद्ध लंकापति रावण से भी हुआ था. इस युद्ध में भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने तीनों लोकों पर विजय पाने वाले भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त लंकापति रावण को पराजित करके माहिष्मती नगरी में छह महीने तक कारावास में बंदी बनाकर रखा था. बाद में रावण के दादा महर्षि पुलस्त्य के आग्रह पर रावण को कारावास से मुक्त किया गया. इसके बाद कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन और रावण में गहरी मित्रता भी हुई.

इसलिए हुआ था दोनों के बीच युद्ध
महेश्वर (माहिष्मती) में नर्मदा नदी के किनारे स्थित भगवान राजराजेश्वर कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन मंदिर के पुजारी महंत चैतन्यगीर महाराज बताते हैं कि रामायण, दत्तात्रेय पुराण सहित अन्य पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन अपनी रानियों के साथ नर्मदा नदी में जल क्रीड़ा कर रहे थे, उसी दौरान महेश्वर से कुछ दूर जलकोटि के पास नदी के किनारे ही रावण भी विश्व विजय प्राप्ति के लिए पूजा कर रहा था. जल क्रीड़ा करते हुए कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा के वेग को रोक दिया. जिससे नर्मदा का जल स्तर बढ़ गया और रावण के बनाएं शिवलिंग एवं पूजन सामग्री पानी में बह गए. इससे क्रोधित रावण ने कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन को युद्ध के लिए ललकार दिया. इस युद्ध में भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन सेना सहित रावण को हराकर बंदी बना लिया था.

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