भोजपुरी फिल्मों में किया काम, फिर एक्ट्रेस ने ‘रामायण’ में निभाया ऐसा रोल, सच में चिढ़ने लगे लोग, भागना पड़ा विदेश

रामानंद सागर की ‘रामायण’ में कैकयी का किरदार निभा प्रसिद्ध हुईं पद्मा खन्ना ने बॉलीवुड फिल्मों में भी का किया. लेकिन उन्होंने एक्टिंग में डेब्यू भोजपुरी फिल्म से किया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1990 के दशक के बाद वह विदेश चली गईं.
मुंबई
एक्ट्रेस पद्मा खन्ना को हर कोई रामानंद सागर की ‘रामायण’ में कैकयी के किरदार निभाने के लिया जानता है. ‘रामायण’ साल 1987 में दूरदर्शन पर ऑन एयर हुआ था. इस शो के हर किरदार की आजतक चर्चा होती है, चाहे अरुण गोविल द्वारा निभाया गया श्रीराम का किरदार हो या फिर दीपिका चिखलिया का सीता का किरदार. शो में कैकयी का किरदार पद्मा खन्ना ने निभाया था. कैकयी का रामायण का सबसे अहम पात्र है. कैकयी के कहने पर ही राजा दशरथ ने राम को 14 वर्ष का वनवास काटने का आदेश दिया था.
पद्मा खन्ना को इस किरदार को निभाने के लिए आलोचना का भी सामना करना पड़ा था. साथ ही उनकी खूब चर्चा भी हुई. पद्मा बिहार के पटना की रहने वाली हैं. उन्होंने साल 1961 में आई फिल्म भैया से डेब्यू किया था. लेकिन यह फिल्म रिलीज नहीं हो सकी. इसके ठीक 2 साल बाद यानी साल 1963 में गंगा मैया तोह पियरी चढ़ाइवो में उन्होंने का किया और इसे उनकी डेब्यू फिल्म माना गया.
इसके बाद पद्मा खन्ना ने बिदेसिया, बालम परदेसिया, बसुरिया बाजे गंगा तीरे, धरती मैया, माई, दगाबाज बलमा, बहुरिया, तुलसी सोरहे हमार अंगना समेत कई भोजपुरी फिल्मों में काम किया. उन्होंने इस बीच बॉलीवुड फिल्मों कई लीड और सपोर्टिंग रोल भी निभाए. फिल्म सौदागर में वह अमिताभ बच्चन की पत्नी बनी थीं. इसके अलावा उन्होंने राजेश खन्ना संग दाग में भी काम किया.
पद्मा खन्ना बॉलीवुड में अपना नाम ज्यादा बुलंदियों पर नहीं पहुंचा सकीं, लेकिन उस दौर में वह भोजपुरी फिल्मों की टॉप एक्ट्रेस थीं और भोजपुरी फिल्ममेकर्स की पहली पसंद थीं. इसी बीच उन्होंने रामानंद सागर की रामायण में काम करने का मौका मिला और कैकयी का किरदार निभा प्रसिद्ध हो गईं.
पद्मा खन्ना को कैकयी ने का किरदार निभाने के बाद खूब ख्याति मिली, लेकिन उन्हें लोगों की आलोचना की भी सामना करना पड़ा. क्योंकि रामायण में कैकयी के कहने पर ही दशरथ ने भगवान श्रीराम को वनवास भेजा था. पद्मा 1990 में अमेरिका के न्यूजर्सी में शिफ्ट हो गईं. यहां उन्होंने एक कथक अकादमी खोली और अब उनके बेटे ये अकादमी चलाने में उनकी मदद कर रहे हैं.