पहलवानों ने मैरीकॉम की कमेटी के सामने भी बृजभूषण पर लगाए थे यौन उत्पीड़न के आरोप, नहीं हुई कार्रवाई: रिपोर्ट

पहलवानों की ओर से रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. इस मामले में सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी ने कुछ नहीं किया, लेकिन दिल्ली पुलिस अब इन्हीं सबूतों के आधार पर कार्रवाई करने की तैयारी में है.
नई दिल्ली.
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस की चार्टशीट में गंभीर आरोप लगाए हैं. ऐसे में उन पर शिकंजा कसता हुआ दिखाई दे रहा है. इससे पहले फरवरी में पहलवानों ने सरकार द्वारा गठित ओवरसाइट कमेटी के सामने भी बृजभूषण शरण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. लेकिन उनकी ओर से खेल मंत्रालय को अप्रैल में सौंपी गई रिपोर्ट में इस पर सवाल नहीं उठाए गए. साथ ही पुलिस कार्रवाई को लेकर भी सिफारिश नहीं की गई थी. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, अब पुलिस ने इन्हीं बातों के आधार पर बृजभूषण पर सेक्शन 506 (आपराधिक धमकी), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 354 ए (यौन उत्पीड़न) और 354 डी (पीछा करना) सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया है.
पहलवानों की ओर से विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार की ओर से एमसी मैरीकॉम के नेतृत्व में 6 सदस्यीय कमेटी का गठन जनवरी में किया. फरवरी में इसकी सुनवाई हुई. 24 अप्रैल को सरकार ने कमेटी की प्रमुख सिफारिशों के बारे में जानकारी दी, इसमें फेडरेशन की आतंरिक कमियों के बारे में जरूर कहा गया, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह के आरोपों पर चुप्पी साध ली गई. जबकि इससे पहले एक दर्जन खिलाड़ी, कोच और सहयोगी स्टाफ ने यौन उत्पीड़न को लेकर बृजभूषण पर सीधा हमला किया था.
फिर धरने पर लौटे थे पहलवान
बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई नहीं होने और कमेटी पर सवाल उठाने के बाद पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया 23 अप्रैल को फिर से प्रदर्शन के लिए जंतर मंतर लौट आए थे. यह प्रदर्शन लगभग 2 महीने तक चला. गृहमंत्री अमित शाह और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बैठक के बाद उन्होंने पिछले महीने अपना आंदोलन वापस लिया. उन्हें मामले में जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है.
जांच समिति की रिपोर्ट की जानकारी दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्टशाीट में भी दी है. इसमें बयान के दौरान एक पहलवान ने शिकायत की थी कि बृजभूषण शरण सिंह ने उसके पेट और छाती को 3-4 बार छुआ. इसके बाद वह ठीक से खाना भी नहीं खा पा रही थी. कम उम्र होने के कारण वह बारे में कुछ भी बोलने का साहस नहीं जुटा पा रही थी.