गुजरात में जो हालात हैं, वो राज्य सरकार के दावों के उलट है.:गुजरात हाई कोर्ट
कोरोना महामारी की बिगड़ती स्थिति पर गुजरात सरकार को हाई कोर्ट की फटकार
अहमदाबाद
गुजरात हाई कोर्ट ने सोमवार को कोरोना महामारी की बिगड़ती स्थिति के लिए राज्य सरकार पर नाराज़गी जताई. हाई कोर्ट ने ये साफ़ तौर पर कहा कि गुजरात में जो हालात हैं, वो राज्य सरकार के दावों के उलट है.
गुजरात हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव करिया ने राज्य में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा, “लोगों को अब ये लगने लगा है कि वे भगवान की दया पर ही निर्भर हो गए हैं.”
हाई कोर्ट ने कुछ सुझाव भी दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि शादियों में मेहमानों की संख्या अधिकतम निर्धारित संख्या को 100 से कम करके 50 कर दिया जाना चाहिए. साथ ही अंतिम संस्कार में भी लोगों की संख्या कम की जानी चाहिए, सभी तरह की जनसभाओं पर रोक लगनी चाहिए, दफ़्तरों में आने वाले लोगों की संख्या सीमित की जानी चाहिए.
गुजरात में पिछले दो दिनों से हर रोज़ कोरोना संक्रमण के पांच हज़ार नए मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने हाई कोर्ट को बताया कि कई कदम उठाए गए हैं. हालांकि बेंच ने उन दलीलों को स्वीकार करने से मना कर दिया.
कोर्ट ने कहा, “जो आप दावा कर रहे हैं, हालात उससे पूरी तरह से अलग है. आप कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक है. लेकिन सच्चाई से उलट है. लोगों का भरोसा कमज़ोर पड़ रहा है. लोग सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और सरकार लोगों को. इससे काम बनने वाला नहीं है. हमें संक्रमण के चेन को तोड़ने की ज़रूरत है.”
कुछ मीडिया रिपोर्टों में ये दावा किया गया था कि राज्य में रेमडेसिवीर दवा की कमी देखी जा रही है, लोग अस्पतालों के बाहर इसे हासिल करने के लिए लंबी कतारों में खड़े हैं. एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने इन रिपोर्टों पर कहा कि जिन्हें रेमडेसिवीर दवा की ज़रूरत नहीं भी है, वो भी एहतियाती उपाय के तौर पर इसे खरीदने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “अगर मरीज का इलाज घर में हो रहा हो या उसमें संक्रमण के लक्षण न हों और उसकी स्थिति गंभीर न हो तो उसे रेमडेसिवीर दवा की ज़रूरत नहीं है. इसकी आपूर्ति भी कम हो रही है. केवल सात दवा कंपनियां ये बनाती हैं. रेमडेसिवीर दवा के 1.75 लाख वायल का हर रोज़ उत्पादन होता है, हम गुजरात सरकार के लिए हर दिन 25 हज़ार वायल खरीद रहे हैं.”
इस पर कोर्ट ने कहा कि जब लोग रेमडेसिवीर दवा के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं और अस्पताल भी ये कह रहे हैं कि उनके पास इसका स्टॉक नहीं है तो ऐसे में राज्य सरकार इसकी आपूर्ति को क्यों कंट्रोल करना चाहती है.