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विशेषज्ञों का दावा, टीका लगने के बाद संक्रमण हुआ तो जान को खतरा बेहद कम,जानें कितने वक्त तक सुरक्षा देगा टीका

,नई दिल्ली

टीका लगने के बाद संक्रमण हुआ तो जान को खतरा बेहद कम होता है और मरीज को वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत भी कम होती है। जर्मनी में संक्रमण की निगरानी कर रहे  रार्बट कोच संस्थान के वैज्ञानिक समेत दुनिया के कई प्रतिष्ठित महामारी विशेषज्ञ यह दावा कर चुके हैं। इस संस्थान के महामारी विशेषज्ञ जॉन स्मिथ का कहना है कि टीका लाभार्थी अगर कोरोना की चपेट में आ भी जाता है तो संक्रमण के गंभीर होने की संभावना कम रहती है।

टीकाकरण के बाद संक्रमित हुए तो भी टीका मददगार 
अब तक दुनियाभर में ऐसे कम मामले ही दर्ज हुए हैं जिसमें टीकाकरण के बाद भी कोई  संक्रमित हो गया हो। जबकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है, जिसमें टीका लगे व्यक्ति को गंभीर संक्रमण हुआ और उसकी मौत हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि जितने ज्यादा लोग टीका लगवा लेंगे, उनके संक्रमित होने का जोखिम उतना ज्यादा कम होगा।

दो हालात में पॉजिटिव हो जाते टीका लाभार्थी 
रार्बट कोच संस्थान के मुताबिक, दो स्थितियों में इस प्रकार का संक्रमण ज्यादा देखा गया है।पहली स्थिति यह है कि टीका लगने से तुरंत पहले के दिनों में लाभार्थी संक्रमण की चपेट में आया हो। जबकि दूसरी स्थिति के अनुसार, टीका लगने के तुरंत बाद के दिनों में वह व्यक्ति कोरोना संक्रमण की चपेट में आए जाए। इसकी वजह यह है कि टीका लगने के बाद प्रतिरक्षा तंत्र उस दवा के लिए खुद को अनुकूलित कर रहा होता है, जिस कारण वह बाहरी आक्रमण से लड़ने की क्षमता इकट्ठी नहीं कर पाता।

दूसरी खुराक के 14 दिन बाद आती शक्ति
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अब तक जितने ब्रांड की कोरोना रोधी वैक्सीन को उपयोग की मंजूरी मिली है, उनके शरीर में जाने के दो सप्ताह के बाद प्रतिरक्षा तंत्र में मजबूती आती है। इसी बात को भारत का केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी मानता है, जिसके मुताबिक- टीके की दूसरी खुराक लगवाने के 14 दिन के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनना शुरू होती हैं जो वायरस से लड़ने के लिए शरीर की क्षमता को बढ़ा देती हैं।

कोई वैक्सीन शत-प्रतिशत प्रभावशील नहीं 
अमेरिका के मुख्य वैज्ञानिक एंटनी फौसी के मुताबिक, दुनिया में किसी भी दवा की कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावशील नहीं होती लेकिन 50 प्रतिशत से अधिक प्रभावशीलता वाली हर वैक्सीन उपयोग के योग्य होती है। उदाहरण के लिए, फाइजर अपने ताजा आंकड़ों के मुताबिक 90 प्रतिशत प्रभावशील है। इसका मतलब है कि दस फीसदी ऐसी स्थितियां हो सकती है, जिसमें यह टीका संक्रमण का जोखिम कम करने में पूरा मददगार साबित न हो।

फिर टीका क्यों जरूरी 
अमेरिका स्थित सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक,  कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने का जोखिम घटाने के लिए सभी को जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहिए जिससे झुंड की प्रतिरक्षा की स्थिति पैदा हो।

कितने वक्त तक टीका देगा सुरक्षा
अभी दुनिया के पास इस बात का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। एंटनी फौसी कहते हैं कि इस सवाल का सही-सही जवाब जानने के लिए दुनिया को कुछ वर्षों का इंतजार करना होगा। अभी हम सिर्फ टीकों की कार्यात्मक प्रभावशीलता के बारे में ही जानते हैं।

म्यूटेशन से निपटना चुनौती
अभी तक जितने टीके बने हैं, उसके सामने कोरोना वायरस के म्यूटेशन से निपटने की चुनौती है। वायरस के अनुवांशिक तत्वों में होने वाले आंशिक परिवर्तन कई बार उसे ज्यादा संक्रामक बना देते हैं, जिससे टीकों की प्रभावशीलता पर फर्क पड़ रहा है। कुछ टीका निर्माताओं ने इससे निपटने के लिए बूस्टर टीका बनाना शुरू किया है।

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