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EC से सवाल-चुनावी रैलियों में कोरोना नियम तोड़ने वाले नेताओं पर जुर्माना क्यों नही?:दिल्ली हाईकोर्ट

17 मार्च को यूपी के पूर्व DGP और थिंक टैंक सीएएससी के चेयरमैन विक्रम सिंह ने ये याचिका हाइकोर्ट में दायर की थी. कोर्ट ने उस याचिका पर 22 मार्च को सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करके केंद्रीय गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग से 30 अप्रैल तक अपना जवाब दायर करने का आदेश दिया था.

नई दिल्ली.

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर से हालात खराब होते जा रहे हैं. इस बीच चुनावी रैलियों में राजनीतिक दलों के नेताओं के कोरोना गाइडलाइंस तोड़ने के मामले भी आ रहे हैं. इसी मामले को आधार बनाकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर की गई है. हाईकोर्ट ने इसपर सुनवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) और चुनाव आयोग (Elections Commission) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 30 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है.

दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अर्जी में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किया है, उसका राजनीतिक दलों के नेताओं के द्वारा और चुनावी रैलियों के दौरान पालन नहीं हो रहा. इस अर्जी में मांग की गई है कि केंद्रीय चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों का सख्ती से पालन करवाएं और इसके लिए राजनीतिक दलों और चुनाव की ड्यूटी में लगे अधिकारियों को निर्देश दें.

किसने दायर की याचिका?
17 मार्च को यूपी के पूर्व DGP और थिंक टैंक सीएएससी के चेयरमैन विक्रम सिंह ने ये याचिका हाइकोर्ट में दायर की थी. कोर्ट ने उस याचिका पर 22 मार्च को सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करके केंद्रीय गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग से 30 अप्रैल तक अपना जवाब दायर करने का आदेश दिया था.
उठाए गए ये सवाल?

ये अर्ज़ी उस याचिका के साथ दायर की गई है जिसमें कहां गया था की एक तरफ आम आदमी से मास्क ना लगाए जाने पर जुर्माना वसूला जा रहा है तो दूसरी तरफ राजनैतिक दलों दलों के राजनेता खुलेआम बिना मास्क के ही घूम रहे हैं और प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं. यहां तक कि की राजनीतिक दलों की रैलियों में भी कहीं कोई नियम का पालन नहीं हो रहा.

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