ये विस्फोटक आते कहां से हैं मोदी सरकारसे पूछता है देश ?
किसी अफसर के कारण सरकार बनती नहीं और गिरती भी नहीं है, यह विपक्ष को भूलना नहीं चाहिए
किसी अफसर के कारण सरकार बनती नहीं और गिरती भी नहीं है, यह विपक्ष को भूलना नहीं चाहिए। कुछ इन शब्दों में शिवसेना के मुखपत्र सामना में भाजपा को सख्त नसीहत दी गई है। साथ ही यह भी समझाया गया कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार के पास अच्छा बहुमत है। बहुमत पर हावी होने की कोशिश करोगे तो आग लगेगी, यह चेतावनी न होकर वास्तविकता है।
दरअसल एंटीलिया मामले के बाद महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार पर नए सिरे से वार करने का मौका भाजपा को मिल गया है। ये सारा घटनाक्रम 25 फरवरी से शुरु हुआ है, जब खबर मिली कि दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार मुकेश अंबानी के आधुनिक महल एंटीलिया के बाहर विस्फोटक छड़ों से लदी एक कार मिली है। कार में एक धमकी भरी चिठ्ठी भी थी, जिसमें लिखा था कि ये सिर्फ ट्रेलर है। आनन-फानन में जांच शुरु हुई और पता चला कि जिस व्यक्ति की ये कार थी, उसकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है। इस मौत का खुलासा और विस्फोटक भरी कार रखने का मकसद खुलता, इस बीच ही मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी सचिन वाजे पर आरोप लगे कि इस मामले में उनकी भूमिका है।
कार भी उन्होंने रखी, और कार मालिक से उनकी पुरानी जान-पहचान थी। आरोप की उंगलियां मुंबई पुलिस पर उठने लगीं और मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का अचानक तबादला कर दिया गया। तबादले के चंद दिनों के भीतर परमबीर सिंह ने एक शिकायती पत्र राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखा कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बार, रेस्तरां आदि से सौ करोड़ की उगाही के निर्देश दिए हैं। अंधा क्या चाहे दो आंखें। एंटीलिया में विस्फोटक वाली कार रखने से लेकर सौ करोड़ की उगाही वाले खत तक भाजपा को महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने और मुख्यमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक के इस्तीफे की मांग करने के दस बहाने मिल गए। मीडिया ने भी क्राइम टाइम वाले वक्त का भरपूर इस्तेमाल करते हुए सचिन वाजे से लेकर गृहमंत्री अनिल देशमुख तक सबकी घेराबंदी करने का सारा इंतजाम कर लिया। देश एक नई अपराध कथा की सनसनी में उलझा रहे, मौजूदा सरकार के लिए भी यही अच्छा है। लेकिन कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब तलाशे जाने चाहिए।
देश के साधारण से साधारण नागरिक को भी जान-माल की पूरी सुरक्षा का हक है, ऐसा संविधान कहता है। लेकिन हकीकत में लोगों को उतनी ही सुरक्षा मिल पाती है, जितनी व्यवस्था वे खुद कर पाते हैं। लड़कियां अंधेरे में अकेले न निकलें, रात को सुनसान सड़क पर कोई न जाए, सार्वजनिक यातायात के इस्तेमाल में अपने सामान का ध्यान खुद रखें, अपने घर के बाहर कंटीले तार, ऊंची दीवार या मजबूत ताला लगाकर अपनी हिफाजत करें, अधिक सक्षम हों तो निजी सुरक्षा एजेंसियों से गार्ड की तैनाती कराएं, क्योंकि पुलिस अपने इलाके के लोगों को इस तरह की सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराती है। लेकिन मुकेश अंबानी साधारण नागरिक नहीं हैं। उन्हें सरकार की ओर से जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली उनकी पत्नी नीता अंबानी को वाय श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है।
सीआरपीएफ के कम से कम 58 कमांडो उनकी सुरक्षा में मुस्तैद रहते हैं। वे अरबपति हैं, लिहाजा अपने महल के बाद थोड़ी सुरक्षा व्यवस्था उन्होंने अपने पैसों से भी की होगी। इसके बावजूद रात को विस्फोटक छड़ों वाली कार उनके घर के बाहर मिलने का मतलब है, इस सारी सुरक्षा में कहीं कोई कसर है। वैसे सवाल ये है कि एंटीलिया से दो सौ मीटर दूरी पर कार खड़ी करने का मकसद क्या था। फिल्मी लाइन वाली धमकी भी खतरे की गंभीरता को कम करती है। जांच में ये भी पता चला है कि विस्फोटक छड़ें कम असर वाली थीं, उनका इस्तेमाल अमूमन ग्रामीण इलाकों में कुआं खोदने, सड़क निर्माण कार्य और अन्य कामों के लिए किया जाता है। अगर मुकेश अंबानी और उनके परिवार को धमकाना था, तो इतने हल्के विस्फोटक का इस्तेमाल क्यों किया गया।
सचिन वाजे पर साजिश रचने और इसे अंजाम देने का आरोप लगाकर उनसे सीन रिक्रिएट भी करवाया गया, लेकिन कोई रसूखदार अफसर इतनी गलतियों वाली साजिश क्यों रचेगा और उसका मकसद क्या था, यह भी सामने आना चाहिए। सबसे गंभीर आरोप परमबीर सिंह ने राज्य के गृहमंत्री पर लगाए हैं। लेकिन सवाल उन पर भी उठते हैं कि अगर गृहमंत्री ने ऐसा कोई गैरकानूनी काम करने कहा था तो इसकी शिकायत उन्होंने तत्काल क्यों नहीं की। अपने तबादले के बाद ही उनकी अंतरात्मा क्यों जागी। मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उसे सार्वजनिक करने का क्या अर्थ है।
रहा सवाल भाजपा द्वारा गृहमंत्री से इस्तीफे की मांग का, तो भाजपा को याद रखना चाहिए कि 2002 में गुजरात दंगों के बाद नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया था। न शिवराज सिंह चौहान ने व्यापमं जैसे घोटाले के सामने के बाद इस्तीफा दिया। इस वक्त नितिन गडकरी पर भी एक घोटाले का इल्जाम लगा है, लेकिन भाजपा मौन है। और भाजपा नेताओं को राजनाथ सिंह का वो बयान तो याद होगा ही जब ललित मोदी वाले मामले में वसुंधरा राजे पर आरोप लगने और स्मृति ईरानी के डिग्री मामले में फर्जीवाड़े के आरोपों के बीच उनसे इस्तीफे की मांग की गई, तो राजनाथ सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार का कोई मंत्री इस्तीफा नहीं देगा। ये एनडीए की सरकार है, यूपीए की नहीं।
सच तो ये है कि शास्त्रीजी की तरह नैतिक मापदंडों को ऊंचा रखते हुए इस्तीफा देने का साहस आज के सत्ताधारियों में अपवाद ही है। केंद्र सरकार और भाजपा महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की कोशिशों की जगह इस बात पर ध्यान केन्द्रित करे कि पुलवामा से लेकर एंटीलिया तक कहीं से भी विस्फोटक आखिर आ कहां से जाते हैं।