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मनोज बाजपेयी, को आज मिला तीसरा नेशनल अवॉर्ड

कभी बार-बार रिजेक्ट होकर टूट चुके थे मनोज बाजपेयी, आज मिला तीसरा नेशनल अवॉर्ड

नई दिल्ली

बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता मनोज बाजपेयी को आज यानी 22 मार्च को बेस्ट एक्टर के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ये उनका तीसरा नेशनल अवॉर्ड है, इससे पहले उन्हें साल 2000 में रिलीज फिल्म ‘सत्या’ में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर और ‘पिंजर’ के लिए स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड के सम्मान से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म श्री सम्मान भी दिया चुका है। वहीं आज हुए ऐलान में मनोज को फिल्म ‘भोंसले’ के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला है।

जब बुरी तरह टूट गए थे मनोज बाजपेयी

मनोज बाजपेयी ने अपने दो दशकों से भी ज्यादा वक्त के फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। इन फिल्मों में जिस किरदार को मनोज ने निभा दिया, वो आज तक लोगों को याद हैं। वहीं मनोज बाजपेयी ने कई सक्सेसफुल फिल्में जरूर दी हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब वो पूरी तरह टूट चुके थे और अपनी जिंदगी खत्म करना चाहते थे। इसके बारे में उन्होंने खुद एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था।

सुसाइड के ख्याल से दोस्तों ने बचाया
मनोज बाजपेयी ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को बताया था कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में हिस्सा लेना उनका सपना था, लेकिन यहां से उन्हें एक-दो नहीं बल्कि तीन-तीन बार रिजेक्ट होना पड़ा। मनोज ने बताया कि ‘मेरे सपने टूटने लगे थे और मुझे सुसाइड ही एक रास्ता नजर आ रहा था, लेकिन मेरे दोस्तों ने मुझे बचा लिया। मेरे दोस्त मेरे बगल में सोते थे और मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे। वो तब तक मेरे साथ रहे जब तक की मुझे एनएसडी में एंट्री नहीं मिल गई’। मनोज ने एक अन्य इंटरव्यू में ये भी बताया था कि चौथी बार में उन्हें NSD में टीचिंग का जॉब ऑफर मिला था।

फिल्मी है ब्रेक की कहानी
मनोज बाजपेयी ने बताया था की तिग्मांशु धूलिया और शेखर कपूर ने उन्हें मुंबई एक्टिंग करने के लिए बुलाया था। मनोज ने बताया कि ‘एक दिन जब मैं चाय की दुकान पर बैठा था, तब तिग्मांशु अपने खटारा स्कूटर पर मुझे ढूंढते हुए आए और बताया कि शेखर कपूर ने उन्हें फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में कास्ट करने लिए मुंबई बुलाया है’।

एक दिन में तीन प्रोजेक्ट्स से बाहर
मनोज बाजपेयी ने बताया कि शुरुआती दिनों में ऐसा भी हुआ कि पहला शॉट देखते ही उन्हें फिल्म से बाहर कर दिया गया। इस तरह वो एक बार एक दिन में तीन प्रोजेक्ट्स से बाहर किए गए थे। बता दें कि मनोज को सफलता मिली 1998 में आई फिल्म ‘सत्या’ से। इस फिल्म के जरिए उन्होंने लोगों को इतना इंप्रेस किया कि इसके बाद उन्हें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।

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