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केरल में बीजेपी को एक भी सीट मिलना मुश्किल: शशि थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर का कहना है कि कांग्रेस के भीतर गुटबाज़ी हो सकती है, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए सभी धड़े हमेशा एक साथ आ जाते हैं.

द हिंदू अख़बार से बातचीत में उन्होंने केरल विधान सभा चुनाव में यूडीएफ़ की चुनावी संभावनाओं से उनकी उम्मीदों, राज्य मे बीजेपी के सफल ना होने के कारणों और जी-23 पर चर्चा की.

ओपिनियन पोल में केरल चुनावों में सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाली एलडीएफ़ की जीत की बात कही गई है. इस पर शशि थरूर ने कहा कि ओपिनियन पोल पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा, “ब्रितानी प्रधानमंत्री हेरोल्ड विल्सन ने कहा था कि ‘राजनीति में एक हफ़्ता लंबा वक़्त होता है.’ और चुनाव होने में अभी क़रीब चार हफ़्ते हैं. बल्कि सबसे ताज़ा ओपिनियन पोल कुछ हफ़्ते पहले हुआ है. इसलिए मैं मानता हूं कि ओपिनियन पोल लेने के हफ़्तों और चुनाव प्रचार के बचे हुए हफ़्तों के बीच ये चुनाव पलटने वाला है और यूडीएफ़ जीतेगी.”

हाल में पी सी चाको ने पार्टी की केरल इकाई में गुटबाज़ी का आरोप लगते हुए कांग्रेस छोड़ दी, तो क्या ये गुटबाज़ी कांग्रेस को नीचे नहीं खींच रही है?

इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “पी सी चाको बहुत ही सम्मानित पूर्व सहयोगी रहे हैं. लेकिन वो एक पूर्व एनसीपी नेता हैं और अब उन्होंने एनसीपी में ‘घर वापसी’ कर ली है.और जहाँ तक गुटबाज़ी का सवाल है तो ये सभी दलों को नुक़सान पहुंचाती है और हम भी इससे बच नहीं सकते. लेकिन चुनाव लड़ने के समय सभी धड़े हमेशा साथ आ जाते हैं. कांग्रेस को लेकर दिलचस्प ये है कि चाहे कोई भी धड़ा हो, वो पार्टी और यूडीएफ़ की जीत के लिए अपने मतभेदों को किनारे रखकर एकजुट होकर काम करते हैं.”

एलडीएफ़ के पास ब्रैंड पिनराई हैं, लेकिन यूडीएफ़ के पास मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं है. तो क्या इससे चुनाव में उनकी स्थिति कमज़ोर नहीं हो जाती?

इस पर उन्होंने कहा, “मुझे ऐसा नहीं लगता. अगर कोई मौजूदा मुख्यमंत्री होता है तो वो अपने आप एक ब्रैंड लीडर बन जाता है. पहले के चुनावों में सीपीआई(एम) के पास भी मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं था. कांग्रेस पारंपरिक तौर पर पहले से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं करती है, ख़ासकर जब उस वक़्त कांग्रेस का मुख्यमंत्री सत्ता में ना हो. अच्छी बात ये है कि हमारे पास चुनने के लिए बहुत से नेता हैं और बहुत लोगों में क़ाबिलियत है. हम सब जानते हैं कि हमारे वरिष्ठ नेता कौन हैं और मैं आपको विश्वास दिला सकता हूं कि मतदाता चुनाव करेंगे तो उन्हें पता होगा कि वो किसे चाहते हैं.”

बीजेपी केरल में अपना मौजूदगी बढ़ाने के लिए हर कोशिश कर रही है.आप बीजेपी की चुनावी संभावनाओं को कैसे देखते हैं? इस पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि बीजेपी को 140 में से एक सीट भी मिलना मुश्किल है. बल्कि बीजेपी को अपनी एकमात्र निमोम सीट को बचाए रखने में भी दिक़्क़त होगी. ख़ासकर जब कांग्रेस और सीपीआई(एम) ने वहां अपने मज़बूत उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन मैं कहूंगा कि शायद बीजेपी की विश्वसनीयता ऐसे स्तर पर पहुंच गई है जहाँ आगे बदलाव संभव नहीं है. पिछले 15 साल में ये 6% की पार्टी से 15% की पार्टी बन गई है. मुझे लगता है कि जो हो सकता था वो हो चुका है. मुझे नहीं लगता कि इससे ज़्यादा कुछ होगा, क्योंकि केरल उत्तर भारत की तरह नहीं है, जहाँ बीजेपी ने सांप्रदायिक और ध्रुवीकरण की रणनीति तैयार की है. ये एक प्रभावी संस्था है और इसके पास बहुत पैसा है. लेकिन सिर्फ धन और बाहुबल आपको चुनाव नहीं जिता सकते. आपको मतदाताओं की भावनाओं को समझना आना चाहिए.”

आप उन 23 नेताओं में से एक थे जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. जिस समूह को अब जी-23 कहा जा रहा है. लेकिन उसके बाद से आप समूह से पीछे हटते दिखाई दिए. हाल में जम्मू में जी-23 के कुछ सदस्यों की हालिया सार्वजनिक बैठकों में भी आप नहीं देखे गए, जहां पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के ख़िलाफ़ कई कड़ी टिप्पणियां की गई थीं. ऐसा क्यों?

इस सवाल के जवाब में थरूर ने कहा, “मैं जम्मू नहीं जा सका. मैं केरल में चुनावी घोषणापत्र के लिए सलाह मशविरा कर रहा था, इसलिए वैसे भी मैं कहीं और नहीं जा सकता था. जी-23 किसी तरह की संस्था नहीं है जैसा मीडिया दिखाता है; ये एक जैसी सोच वाले कांग्रेस नेताओं का एक समूह है जो कांग्रेस को मज़बूत करने के बारे में बात कर रहा है. मेरे अलावा, समूह का हर व्यक्ति खुले तौर पर कह चुका है कि वो पांचों राज्यों के चुनावों में कांग्रेस की जीत के लिए काम करना चाहते हैं. मुझे उनमें और कांग्रेस नेतृत्व या उनमें और मुझ में कोई विरोधाभास नहीं दिखता. गुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी जैसे लोग कह रहे हैं कि वो पांचों राज्यों में कांग्रेस को जीतते देखना चाहते हैं और उस जीत के लिए काम करने के लिए मैं उस राज्य में जा भी रहा हूं जहां का मैं हूं और जहां का प्रतिनिधित्व मैं संसद में करता हूं, विरोधाभास क्या है? मैं किसी की अवज्ञा नहीं कर रहा हूं. मैंने कोई कड़ा बयान नहीं दिया. मैं पार्टी को मज़बूत होते देखना चाहता हूं.”

कांग्रेस

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