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‘MLA पति को फौरन अरेस्ट करो’, मर्डर मामले में MP पुलिस को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि गोविंद सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट के बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी. पीठ ने कहा, “कानून के शासन को संरक्षित रखा जाना चाहिए.”

 

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है और राज्य के DGP को आदेश दिया है कि आरोपी को फौरन गिरफ्तार करें.

भोपाल: 

कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की दो साल पुरानी हत्या के मामले में आरोपी बहुजन समाज पार्टी (BSP) के विधायक पति को गिरफ्तार करने में विफल रहने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है और राज्य के पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है कि आरोपी को फौरन गिरफ्तार करें.

शुक्रवार को जारी एक आदेश में शीर्ष अदालत ने दमोह के पुलिस अधीक्षक द्वारा एक न्यायाधीश के कथित उत्पीड़न के मामले को भी गंभीरता से लिया है और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ)द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए पुलिस महानिदेशक (DGP) को कहा है.

26 मार्च को फिर से सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह, जिन्हें हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया है, से जुड़े मामलों में मुकदमे का ट्रायल करने वाले न्यायाधीश को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

पिछले महीने, NDTV ने बताया था कि कैसे न्यायाधीश आरपी सोनकर ने कहा था कि उन पर दमोह के एसपी और उनके अधीनस्थों द्वारा दबाव डाला जा रहा है. जब पुलिस अधीक्षक हेमंत चौहान से आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि गोविंद सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट के बावजूद उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी. पीठ ने कहा, “कानून के शासन को संरक्षित रखा जाना चाहिए.”

आदेश में कहा गया है, “हम तदनुसार आदेश देते हैं और मध्य प्रदेश राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश देते हैं कि वह तुरंत दूसरे प्रतिवादी (गोविंद सिंह) की गिरफ्तारी सुनिश्चित करें और इस अदालत में एक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करके अनुपालना की रिपोर्ट करें.”

सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ पीठ देवेंद्र चौरसिया के बेटे सोमेश और राज्य सरकार द्वारा गोविंद सिंह को एक अन्य मामले में दी गई जमानत को रद्द कराने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

 

 

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