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प्रधानमंत्री मोदी ने किया स्वतंत्रता के 75 साल के समारोह का शुभारंभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के अहमदाबाद शहर में स्थित साबरमती आश्रम से दांडी तक की पदयात्रा को रवाना किया.

1930 में महात्मा गांधी ने दांडी तक पदयात्रा करके नमक क़ानून को तोड़ा था. इस घटना को आज 91 साल पूरे हो रहे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस पदयात्रा को झंडी दिखाई, वो भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर मनाये जा रहे ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ का ही एक भाग है.

इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ की वेबसाइट को लॉन्च किया.

उन्होंने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के हृदय कुंज में महात्मा गांधी की तस्वीर को माला अर्पित की. इस दौरान उनके साथ गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी मौजूद रहे.

साबरमती आश्रम में प्रधानमंत्री मोदी
Image caption: साबरमती आश्रम में प्रधानमंत्री मोदी

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि ‘आज आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रारंभ हो रहा है. अमृत महोत्सव 15 अगस्त, 2022 से 75 सप्ताह पूर्व आज प्रारंभ हुआ है और यह 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा.’

उन्होंने कहा, “अमृत महोत्सव के प्रारंभ होने से पहले आज देश की राजधानी में अमृत वर्षा भी हुई और वरुण देव ने आशीर्वाद भी दिया. ये हम सभी का सौभाग्य है कि हम आज़ाद भारत में इस ऐतिहासिक कालखंड के साक्षी बन रहे हैं.”

“आज़ादी के 75 साल का यह अवसर वर्तमान पीढ़ी को एक अमृत की तरह प्राप्त होगा. एक ऐसा अमृत जो हमें प्रतिपल देश के लिए जीने, कुछ करने के लिए प्रेरित करेगा.”

“इस पुण्य अवसर पर मैं बापू के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ. मैं देश के स्वाधीनता संग्राम में अपने आपको आहूत करने वाले, देश को नेतृत्व देने वाली सभी महान विभूतियों के चरणों में नमन करता हूँ, उनका कोटि-कोटि वंदन करता हूँ.”

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“हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है. ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि नमक कोई बहुत क़ीमती चीज़ है. ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहाँ श्रम और समानता का प्रतीक है.”

“उस दौर में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था. अंग्रेज़ों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की. भारत के लोगों को इंग्लैंड से आने वाले नमक पर निर्भर हो जाना पड़ा.”

“1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह की ताक़त फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आज़ाद हिन्द फ़ौज का दिल्ली मार्च, दिल्ली चलो का नारा कौन भूल सकता है.”

“देश इतिहास के इस गौरव को सहेजने के लिए पिछले छह सालों से सजग प्रयास कर रहा है. हर राज्य, हर क्षेत्र में इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं. दांडी यात्रा से जुड़े स्थल का पुनरुद्धार देश ने दो साल पहले ही पूरा किया था. मुझे ख़ुद इस अवसर पर दांडी जाने का अवसर मिला था.”

“आज भी भारत की उपल्धियाँ आज सिर्फ़ हमारी अपनी नहीं हैं, बल्कि ये पूरी दुनिया को रोशनी दिखाने वाली हैं, पूरी मानवता को उम्मीद जगाने वाली हैं. भारत की आत्मनिर्भरता से ओत-प्रोत हमारी विकास यात्रा पूरी दुनिया की विकास यात्रा को गति देने वाली है.”

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