शिवराज सरकार ने EOW और लोकायुक्त के हाथ बांधे, भ्रष्ट अफसरों की अब सीधे जांच नहीं कर पाएंगी
कांग्रेस (Congress) ने कहा सरकार को यह तुगलकी फैसला तत्काल वापस लेना चाहिए अन्यथा भ्रष्टाचारी लुटेरे अधिकारी स्वेच्छाचारी हो जाएंगे. उन्हें भय ही नहीं रहेगा. लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू (EOW) जैसी संस्थाएं किसी काम की नहीं रह जाएंगी.
भोपाल
मध्यप्रदेश शासन ने उन जांच एजेंसियों के हाथ बांध दिए हैं जो भ्रष्ट अफसरों की जांच करती हैं. सरकार ने उनसे सीधे जांच का अधिकार छीन लिया है. अब EOW और लोकायुक्त (Lokayukta) जैसी जांच एजेंसी, भ्रष्ट अफसर के विभाग की इजाज़त के बाद ही जांच कर पाएंगी.
सामान्य प्रशासन विभाग ने एक आदेश जारी किया है जिसके तहत अधिकारियों और कर्मचारियों की भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों की जांच से पहले एजेंसियों को उस अफसर के संबंधित विभाग से अनुमति लेनी होगी. यानि अब जांच एजेंसी सीधे शिकायत की जांच नहीं कर सकेंगी. आदेश अनुसार अधिकारियों – कर्मचारियों की शिकायत को जांच एजेंसी सबंधित विभाग को भेजेगी. विभाग शिकायत की समीक्षा करेगा और फिर अगर उसे लगा कि मामला जांच के लायक है तभी वो जांच की सिफारिश समन्वय समिति को भेजेगा. इसके बाद समन्वय समिति तय करेगी की जांच होनी चाहिए या फिर नहीं.
ये है आदेश
विभाग के आदेश में कहा गया है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1986 की धारा 17 ए के अनुसार जांच एजेंसी का प्रमुख भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए एक प्रतिवेदन संबंधित विभाग को भेजेगा. विभाग उसे देखेगा कि मामला जांच के लायक है या नहीं. उसकी मंज़ूरी के बाद ही जांच एजेंसी मामले में जांच कर सकती है.
सीधे जांच का अधिकार छिना
ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त ऐसी एजेंसी हैं, जो सरकारी विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार की सीधे जांच करती हैं. ज़रूरत पड़ने पर ही विभागों से मामले में दस्तावेज और प्रतिवेदन मांगा जाता है. लेकिन अब इस आदेश के बाद ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त पावर लैस हो जाएंगी.
कांग्रेस को एतराज
शासन के इस आदेश पर कांग्रेस को एतराज़ है.प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा लगता है इस फैसले से भ्रष्टाचार को जन मान्य कराने का सरकार ने संकल्प कर लिया है.सरकार को यह तुगलकी फैसला तत्काल वापस लेना चाहिए अन्यथा भ्रष्टाचारी लुटेरे अधिकारी स्वेच्छाचारी हो जाएंगे. उन्हें भय ही नहीं रहेगा. लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू जैसी संस्थाएं किसी काम की नहीं रह जाएंगी.भ्रष्टाचार के खिलाफ जन उन्माद की बात करने वाली यह सरकार स्वयं भ्रष्टाचार को इस तरह आशीर्वाद प्रदान कर प्रदेश की गली गली में भ्रष्टाचार का वातावरण बनाना चाहती है?
उन्होंने कहा मध्य प्रदेश की जनता को विगत 15 साल में न लोक सेवा गारंटी मिली ना ही सुशासन.आगे इस आदेश के बाद मध्य प्रदेश की जनता क्या क्या देखेगी यह स्वयं सिद्ध हो गया है. गुप्ता ने तत्काल इस फैसले को वापस लेने और जांच एजेंसियों की शुचिता एवं पवित्रता बनाए रखने की मांग की है. मंत्री विश्वास सारंग ने कहा इससे भ्रष्टाचारियों पर पुख्ता कार्रवाई होगी. यह कोई नया आदेश नहीं है. इससे पहले भी आदेश निकल चुके हैं कांग्रेस को तो हर मामले में राजनीति करने की आदत हो गई.