किसानो का मनोबल तोड़ने की साजिश रच रही है भाजपा : अखिलेश
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि किसान आंदोलन खत्म करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अन्नदाताओं काे चिन्हित करने के नाम पर उनका मनोबल तोड़ने की साजिश रची है
लखनऊ।
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि किसान आंदोलन खत्म करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अन्नदाताओं काे चिन्हित करने के नाम पर उनका मनोबल तोड़ने की साजिश रची है जो सरासर अलोकतांत्रिक है।
श्री यादव ने बुधवार को यहां जारी बयान में कहा कि किसानों को चिह्नित करने के नाम पर पुलिस के जरिए किसानों के मनोबल को कमजोर करने की कोशिश हो रही है। इसमें प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए हैं। यह अलोकतांत्रिक आचरण है लेकिन इस भाजपा सरकार को लोकलाज भी नहीं रह गई है। किसानों और जनता की आवाज को कुचलने की उसकी आदत के खिलाफ व्यापक जनाक्रोश उबल रहा है। सरकार इसकी आंच से नहीं बच सकेगी। दरअसल, भाजपा सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों, श्रमिकों, समेत जनता के सभी वर्गों में अलोकप्रिय होती जा रही है।
उन्होने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने संवाद और सहिष्णुता से दूरी बना ली है। नतीजतन लोकतंत्र की मर्यादाएं टूट रही हैं और संविधान के अंतर्गत केन्द्र राज्य सम्बंधों में भी तनाव बढ़ने लगा है। प्रधानमंत्री लाभ देने वाली सरकारी संस्थाएं बेच रहे हैं जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री समाजवादी सरकार के कामों पर जबरन अपने नाम के पत्थर लगवा रहे हैं। वहीं इनके मंत्री पीएम-सीएम की फोटो लगाकर फर्जी मोबाइल बिक्री का उद्घाटन कर रहे हैं। देश नहीं बिकने देने का नारा लगाने वाले लोकतंत्र की मंडी लगाकर बैठ गए हैं।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में किसानों का हाल बेहाल है। झूठे दावों से भ्रम फैलाते हुए किसानों का ध्यान भटकाने में भाजपा सरकार व्यस्त है। पेराई सत्र शुरू होने के बावजूद गन्ने की कीमत में वृद्धि नहीं हुई। नए सत्र में मिल मालिक पुरानी दरों पर ही भुगतान कर रहे हैं। पिछला बकाया ही अभी चुकता नहीं हुआ है। गन्ना किसान को जब समय से बकाया ही नहीं मिल रहा है तो उस पर ब्याज की अदायगी कौन करेगा।गन्ना किसान की दुर्दशा पर भाजपा सरकार का कोई ध्यान नहीं है।
उन्होने कहा कि वैसे भी भाजपा सरकारों ने पूंजीघरानों के फायदे की खातिर अन्नदाता के हितों की बलि दे दी है। सत्ता ने उन पर अत्याचार की सभी हदें पार कर दी है। किसान को न तो फसल की लागत की ड्योढ़ी कीमत मिली है नहीं उसकी आय दुगनी करने की कोई योजना सामने आई है। अपनी मांगों को लेकर आंदोलनकारी किसानों के बीच कई किसान अपनी जान गंवा बैठे हैं कुछ ने तो आत्मदाह तक कर लिया। लेकिन भाजपा प्रवक्ता किसान आंदोलन में शहीद किसानों की मौत को नकार रहे हैं, यह बयान और सरकारी रवैया अपमान जनक और घोर निंदनीय है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी किसानों के संघर्ष में उनके साथ है। ‘समाजवादी किसान यात्रा‘ की असीम सफलता के बाद ‘समाजवादी किसान घेरा‘ कार्यक्रम को किसानों के बीच भारी स्वीकारिता बढ़ी है। किसान इस कार्यक्रम में घेरा बनाकर चौपाल के बीच अपनी बात कह रहे हैं और समाजवादी नेताओं की बातों को समर्थन दे रहे हैं। गांव-गांव अलाव पर चौपालें लग रही है। हजार से ऊपर गांवों तक इस कार्यक्रम का आयोजन हो चुका है। किसानों के रोष को देखते हुए विश्वास होता है कि अब भाजपा के दिन गिने चुने रह गए हैं।